Prakashan Sahayak Yojana – केंद्र सरकार के द्वारा देश में जनजाति पर विभिन्न प्रकार के शोध और साहित्य रचना करने वाले विभिन्न लेखकों को प्रकाशन में सहायता देने के लिए प्रकाशन सहायता योजना को शुरू किया है | इस योजना के तहत इन लेखकों को सरकर की ओर से अधिकतम 20,000/- की सहायता दी जाएगी, चेक या DBT के तहत दी जाएगी |
प्रकाशन सहायता योजना के लिए केवल देश के अनुसूचित जनजाति वर्ग ही योग्य है | इस योजना के लिए इन लेखकों को Offline आवेदन करना है जो माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर के कार्यालय में जमा करना है | इन लेखकों की रचना मौलिक रूप से होनी चाहिए और यह प्रतिष्ठित प्रकाशन केन्द्र से रचना को प्रकाशित कर रहे हो | केंद्र सरकार इन जनजाति वर्ग की विभिन्न प्रकार की सामाजिक, सांस्कृतिक – कला आदि को विश्व स्तर पर लाने के लिए लेखकों को अनुदान प्रदान कर रही है |
प्रकाशन सहायता योजना क्या है ?
केंद्र सरकार ने जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के तहत साल 2000 में Prakashan Sahayak Yojana को शुरू किया है | इस योजना के लिए देश के केवल अनुसूचित जनजाति के लेखक ही पात्र है | इस योजना का लाभ उन लेखकों दिया जाएगा जो जनजाति संबंधी शोध ग्रन्थ पाण्डुलिपि मौलिक रचना करते है और वे देश के प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्था से यह रचना प्रकाशित कराते है, इन लेखकों को प्रकाशन में सहायता देने के लिए यह योजना शुरू की है |
केंद्र सरकार का द्वारा पूर्णत: वित्त पोषित प्रकाशन सहायता योजना है, इस योजना के तहत लेखकों को 6,000/- से 20,000/- तक वित्तीय सहायता दी जाएगी | यह सहायता एक भी ही लेखक को दी जाएगी | इस योजन के लिए इन लेखकों को Offline आवेदन करना है | जो राजस्थान में माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर के कार्यालय में आवेदन करना है |
Prakashan Sahayak Yojana – अवलोकन
योजना का नाम | प्रकाशन सहायता योजना |
लागू वर्ष | 2000 |
लागू की | केंद्र सरकार ने |
विभाग | जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग |
उद्देश्य | लेखकों को प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता |
लाभार्थी | अनुसूचित जनजातीय के लेखक |
सहायता | 6,000/- से 20,000/- |
आवेदन | Offline |
Official Website | https://dipr.rajasthan.gov.in/ |
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प्रकाशन सहायता योजना का उद्देश्य
केंद्र सरकार के द्वारा शुरू की गयी Prakashan Sahayak Yojana का मुख्य उद्देश्य है – देश में अनुसूचित जनजाति के लेखकों प्रकाशन के लिए वितति सहायता देना, ताकि यह वर्ग किसी आर्थिक तंगी के कारण अपनी रचनाओ को प्रकाशित नहीं कर पाते है | बहुत सारी मौलिक रचनाएं जो जनजाति वर्ग की एक पहचान बनाती है और यह विश्व स्तर पर जनजाति की झलक दिखाती है | इस प्रकार केंद्र सरकार इस जनजाति के लेखकों वित्तीय सहायता प्रदान कर रखी है |
Prakashan Sahayak Yojana – लाभ और विशेषताएं
- प्रकाशन सहायता योजना पूर्णत: केंद्र सरकार के द्वारा वित्त पोषित है |
- इस योजना का संचालन जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के तहत किया जा रहा है |
- इस योजना का लाभ जनजाति विषय पर शोध एवं साहित्य रचना करने वाले लेखकों दिया जाएगा |
- इस योजना के तहत इन लेखकों को न्यूनतम 6,000/- से अधिकतम 20,000/- तक सहायता दी जाएगी |
- यह वित्तीय सहायता जनजाति संबंधी शोध ग्रन्थ पाण्डुलिपि मौलिक रचना को देश की प्रतिष्ठित संस्था से प्रकाशित करने पर दी जाएगी |
- इस योजना का लाभ केवल अनुसूचित जनजाति के लेख को ही दिया जाएगा |
- इस योजना के लिए इन लेखकों को Offline आवेदन करना है |
- यह आवेदन Form राजस्थान के लेखकों को माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर से मिलेगा |
- इस योजना के तहत मिलने वाली वित्तीय सहायता को चेक के द्वारा या DBT के तहत जमा की जाएगी |
प्रकाशन सहायता योजना की पात्रता
- अनुसूचित वर्ग का लेखक को |
- जनजाति से सम्बन्धित साहित्य / पाण्डुलिपि / शोध कार्य लेखक की मौलिक रचनाए होनी चाहिए |
- यह रचना देश की प्रतिष्ठित संस्था से प्रकाशित होनी चाहिए |
Prakashan Sahayak Yojana – Documents
जो लेख प्रकाशन सहायता योजना की योग्यता को रखते है उनको यह Documents रखने है –
- जाति प्रमाण पत्र
- शपथ पत्र |
- आधार कार्ड |
- पब्लिकेशन हाउस का कोटेशन |
- Bank डायरी |
Prakashan Sahayak Yojana Offline आवेदन प्रक्रिया
प्रकाशन सहायता योजना की योग्यता को रखने वाले लेखकों को Offline आवेदन करना है | इन लेखकों यह आवेदन Form माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर के कार्यालय से मिलेगा | इस कार्यालय से इस Form को प्राप्त कर, पूरा भर कर, वापस इसी कार्यालय में यह Form जमा करना है | जब आवेदन Form के अनुसार सत्यापन होगा, लेखक को चेक दे कर या उसके खाते में यह सहायता DBT के तहत जमा होगी |
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प्रकाशन सहायता योजना से संबधित प्रश्न
केंद्र सरकार के द्वारा प्रकाशन सहायता योजना को लागू किया गया है, इसके तहत अनुसूचित जनजाति के लेखक जो जनजाति पर रचना करते है उनको प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी |
जो लेखक इस योजना की योग्यता को रखते है उनको प्रकाशन के लिए सरकार के द्वारा 6,000/- से 20,000/- तक वित्तीय सहायता दी जाएगी |
जो लेखक अनुसूचित वर्ग से है और वो इन जनजाति पर शोध करता है, रचना करता है वे आवेदन कर सकते है |
जो लेखक इस योजना की योग्यता को रखते है उनको ऑफलाइन आवेदन करना है |